आज अरसो बाद जेब टटोली,
कुछ पल मिले दो चार.
सबसे छिपाकर , सबसे प्यारे!
पेन और कागज़ मिले,
शायद लिखने की इच्छा दिल में ही रह गयी थी.
और बच गए कुछ आधे अधूरे लेख, अरमानो के.
एक खुद का पासपोर्ट साइज़ फोटो मिला,
भौंडी सी शक्ल लिए एकटक घूरता हुआ.
शायद मुझसे कुछ पूछ रहा था.
एक सपना भी मिला,
माँ का था या पिताजी का, मालूम नहीं.
क्या पता खुद का ही हो.
कुछ कहानियां मिली,
खट्टी मीठी, दिल को गुदगुदा देने वाली,
कुछ तो सच्ची थी और कुछ खुद ही बनायीं थी.
मोहल्ले की उस लड़की को हँसाने के लिए.
कुछ यार भी मिले,
गालियाँ मिली और हंसी भी.
कुछ यार भी मिले,
सबसे बेकार, सबसे निठ्ठले.
सबसे छिपाकर ,सबसे प्यारे.
bahut sahi likhe ho...
ReplyDeletemaza aa gaya!